Pages

Monday, April 28, 2025

वक्त बेवक्त

जो अब नहीं, वह वक्त, वक्त नहीं ।
पर जब 'अब' ही अब नहीं,
तब वक्त बेवक्त की कोई कहानी नहीं ।

तमाम लम्हे जो गुजर गए,
उन में वक्त की बेवक्तियाँ भी 
सलाम लेकर चले गए।
और वो लम्हे जो शायद होंगे कभी,
उन में भला वक्त शिकन डालेगा कैसे, क्यों कभी?

तो जो है, वो है... बस है ।
लिखना है तो अभी लिख लो अपनी कहानी कोई ।
क्योंकि हर वक्त वक्त है, बेवक्त नहीं ।

/ 11
: 141

N.B. Based on (and inspired by) the concepts of Quantum Mechanics and Multiverses, albeit in an extremely abstract way.
Copyright © 2025 One Life To Live. All Rights Reserved

No comments:

Post a Comment

Please let me know how you felt. I am all ears. Post a comment!